चन्दौली मुहर्रम की 10वीं तारीख यौमे आशुरा के मौके पर जिले भर में शुक्रवार व शनिवार को ताजिया, दुलदुल, ताबूत एवं मातमी जुलूस निकाला गया। गमजदा माहौल में ताजियों को प्रमुख स्थानों पर मातम के बाद कर्बला में सिपुर्दे खाक किया गया। जुलूस के मद्देनजर प्रशासन ने तैयारियां पूरी रखी।
वहीं अलीनगर थाना क्षेत्र के मख़दूमाबाद लौंदा गांव में शनिवार को अंजुमन जौवादियां की ओर से मुहर्रम मनाया गया। मुहर्रम कर्बला के 72 शहीदों की याद में किया जाता है। ये कोई पर्व नहीं, बल्कि एक इंसानियत के लिए संदेश है। जो इमाम हुसैन ने कर्बला में आतंक फैलाये हुए यजीद के खिलाफ़ जंग की थी और अपने बहत्तर साथियों के साथ शहीद हो गये। गांव में मुहर्रम का जुलूस शुक्रवार रात सगीर दादा के दरवाजे से ताजिया व अलम के साथ उठाया गया। जिसमें अजादार इमाम हुसैन की शहादत के गम में नौहाखानी व मात कर माहोल को गमगीन कर दिया।
वहीं परवेज़ अहमद 'लाडले', तमशीर मिल्की 'सिब्बल' मो आकिब, मुख्तार अप्पू, फैज कैशपी, शान बाबू, फैजान अहमद शाबरी आदि ने नौहा पढ़ा।
नेजामत कर रहे हाजी नुरूल हक ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम के नवाशे इमाम हुसैन ने अपनी जान देकर इस्लाम को बचाया। यह क़यामत तक क़ायम रहेगी। उस वक्त के शासक यजीद ने इमाम हुसैन के परिवार सहित 72 साथियों को शहीद कर दिया था। आखिर मे इमाम हुसैन का भी सिर धड़ से अलग कर दिया, फिर भी वह हार गया। इमाम हुसैन की इसी अजीम कुर्बानी पर शाबये बयाज परवेज़ अहमद लाडले ने कहा है कि इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद।
इस अवसर पर कमेटी सदर आसिफ़ इकबाल, नायब सदर अशरफ जमाल राजू, खजांची तुफैल अहमद राजू, अफरोज शाबरी छोटे, ईरशाद अहमद छोटू आदि रहे
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