रिपोर्टर/अमित कुमार सकलडीहा क्षेत्र के जामडीह गांव में पौने दो सौ वर्ष से अधिक प्राचीन डबल शिवलिंग का जामेश्वर महादेव की मंदिर है। मान्यता है कि यहां पर मंगल कामना और मन्नत लेकर आने वाली हर माताओं की मुरादें पूरी होती हैं। महाशिवरात्रि और दिपावली के दूसरे दिन महिलाओं का काफी भीड़ जुटती है। मेला को लेकर ग्राम प्रधान बिहारी यादव पुलिस फोर्स के साथ तैयारी में जुटे रहे।
पौने दो सौ वर्ष गाजीपुर जनपद के सराय पोस्ता स्टीमर घाट निवासी सुखलाल अग्रहरी चंदौली अपने रिश्तेदार के घर से लौट रहे थे। ग्रामीणों के अनुसार जामडीह गांव में पीपल के पेड़ के नीचे एक स्वप्न में भगवान शिव का सुखलाल अग्रहरी को दर्शन प्राप्त हुआ था। सुखलाल अग्रहरी ने उसी पीपल के नीचे मंदिर स्थापना के लिये खोदाई शुरू कराया। जहां जोड़ा शिवलिंग दिखायी दिया। सुखलाल अग्रहरी ने भगवान भोलेनाथ पर आस्था रखते हुए मंदिर का स्थापना किया। मंदिर स्थापना के बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उनका पुत्र शिव प्रसाद अग्रहरी, भोला अग्रहरी, काशी प्रसाद अग्रहरी और लच्छु अग्रहरी परिजनों के साथ आज भी दर्शन पूजन के लिये आते है। ग्राम प्रधान बिहारी यादव ने बताया कि यहां पर दूर दराज और कई जिले की महिलायें दर्शन पूजन के लिये आती है। आस्था के साथ पूजा करने वाले कभी निराश नहीं होते है।
इनसेट में..
एक साथ डबल शिवलिंग का होता है दर्शन पूजन
मान्यता है कि काशी विश्वनाथ, मारकंडेय महादेव, कॉलेश्वर महादेव के दर्शन के बाद लोग जामडीह में जोड़ा शिव लिंग जामेश्वर महादेव का दर्शन करने के लिये दूर दूर से आते है। यहां पर खोदाई के दौरान एक साथ अवतरित डबल शिवलिंग और गौतम बुद्ध से जुड़ी प्रतिमा भी मिली थी। मान्यता है कि वर्षो बाद सुखलाल अग्रहरी को संताना प्राप्त होने के बाद से प्रदेश के कोने कोने से यहां आने वाली महिलायें पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिये दर्शन पूजन के लिये आती है। यहां पर आने वाली माताओं की मुरादें पूरी होती है। दिपावली के सुबह भैया दूज के अवसर पर महिलायें जामेश्वर सरोवर में स्नान ध्यान कर नये वस्त्र धारण कर जामेश्वर महादेव का जलाभिषेक करती है।
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